कांग्रेस ने वक्फ संशोधन बिल को संविधान पर हमला बताया, BJP पर अल्पसंख्यकों को परेशान करने का आरोप लगाया है।

Ahsan Ali
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नई दिल्ली: संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट के बाद वक्फ संशोधन बिल इसी सत्र में लाने की सरकार की तैयारियों के बीच मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस विधेयक को देश के संविधान पर हमला बताते हुए आरोप लगाया है कि प्रस्तावित कानून के जरिए हमारे सदियों पुराने सामाजिक सद्भाव के बंधनों को भाजपा लगातार नुकसान पहुंचाने में जुटी हुई है। साथ ही कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया है कि यह विधेयक दुष्प्रचार और पूर्वाग्रह पैदा करके अल्पसंख्यक समुदायों को बदनाम करने के भाजपा के प्रयासों का भी हिस्सा है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को वक्फ संशोधन बिल पर पार्टी का रूख साफ करते हुए बयान जारी कर कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य संवैधानिक प्रावधानों को कमजोर करना है जो सभी नागरिकों को समान अधिकार और सुरक्षा की गारंटी देते हैं, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनावी लाभ की खातिर समाज को स्थायी ध्रुवीकरण की स्थिति में रखने के लिए अल्पसंख्यक समुदायों की परंपराओं और संस्थाओं को बदनाम करने का भाजपा का रूख उसकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है।

विपक्षी सांसदों के सुझावों को दरकिनार करने का आरोप

जयराम रमेश ने वक्फ बिल पर गठित जेपीसी की रिपोर्ट में विपक्षी सांसदों के सुझावों को दरकिनार किए जाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि वक्फ संशोधन बिल 2024 मुख्य रूप से पांच कारणों की वजह से गंभीर रूप से दोषपूर्ण है। पहला पूर्ववर्ती कानूनों के तहत वक्फ प्रबंधन के लिए बनाए गए सभी संस्थानों की स्थिति, संरचना और अधिकार को सुनियोजित तरीके से कम करने का प्रयास किया गया है। ताकि अल्पसंख्यक समुदाय को अपनी धार्मिक परंपराओं और धार्मिक संस्थाओं के प्रशासनिक अधिकार से वंचित किया जा सके।

कांग्रेस महासचिव ने दूसरी त्रुटि गिनाते हुए कहा कि अपनी भूमि को कौन वक्फ मकसदों के लिए दान कर सकता है, इसे तय करने में जानबूझकर अस्पष्टता लायी गई है और इस वजह से वक्फ की परिभाषा ही बदल गई है। तीसरा दोष यह है कि देश की न्यायपालिका द्वारा लंबे समय से निर्बाध चली आ रही परंपरा के आधार पर विकसित किए गए “वक्फ-बाई-यूजर'' की अवधारणा को समाप्त किया जा रहा है।

'अधिकारियों को व्यापक अधिकार दिए जा रहे'

चौथी बात यह है कि वक्फ प्रशासन को कमजोर करने के लिए बिना किसी कारण के मौजूदा कानून के प्रावधानों को हटाया जा रहा है। साथ ही वक्फ की जमीनों पर अतिक्रमण करने वालों को बचाने के लिए अब कानून में और अधिक सुरक्षा के उपाय किए जा रहे हैं।

पांचवी त्रुटि गिनाते हुए जयराम ने कहा कि वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों और उनके पंजीकरण से जुड़े मामलों में कलेक्टर और राज्य सरकार के अन्य नामित अधिकारियों को व्यापक अधिकार दिए गए हैं। राज्य सरकार के अधिकारियों के पास अब किसी की शिकायत पर या वक्फ संपत्ति के सरकारी संपत्ति होने के आरोप मात्र पर अंतिम निर्णय होने तक किसी भी वक्फ की मान्यता रद्द करने का अधिकार होगा।

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि यह याद रखना आवश्यक है कि 428 पृष्ठों की रिपोर्ट को संयुक्त संसदीय समिति में बिना किसी विस्तृत अनुच्छेद-दर-अनुच्छेद चर्चा के संसदीय प्रक्रियाओं का उल्लंघन कर जबरन पारित कर दिया गया।

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