सहारनपुर की Shagufa Sabri ने 20 साल की उम्र में कैलीग्राफी से लिखा कुरान ए पाक

Rooh-E-Seemanchal Staff
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शगुफा साबरी एक विशेष प्रेरणास्त्रोत हैं। उनका कैलीग्राफी से कुरान को कोरे पन्नों पर लिखने का कार्य न केवल उनकी व्यक्तित्व और कला को प्रशस्त करता है, बल्कि यह दुनिया को एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि साहस और उम्र की कोई मायने नहीं रखती।
उन्होंने अपनी अद्भुत योगदान संदेश पहुंचाया है - कि उम्र या साधन संसाधन किसी के सपनों की पारी नहीं होते। शगूफ़ा साबरी  कहा कि उन्हें कैलीग्राफी की कोई शिक्षा नहीं मिली,लेकिन उनकी लगन और मेहनत ने उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
शगुफा की यह कार्यक्षमता और साहस न केवल उनके परिवार को प्रेरित करती है, बल्कि उनके इस कार्य को देखकर लोग भी प्रेरित होते हैं। उनके साथी, समाज ने उनकी उपलब्धियों को बधाई और प्रशंसा की है।
शगुफा की कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि सपनों को पूरा करने के लिए केवल समय और धैर्य ही नहीं,बल्कि साहस और मेहनत भी आवश्यक होती है। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि कोई भी सपना साकार किया जा सकता है,चाहे वह कितना भी बड़ा और कठिन क्यों न हो।


 

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